एमएम यहाँ जाने कि आपके ग्राहक विदेशी बाजारों में कैसे इन्वेस्ट कर सकते हैं

यहाँ समझें कि आपके ग्राहक विदेशी बाजारों में कैसे निवेश कर सकते हैं

अंतरराष्ट्रीय बाजारों में निवेश करने के अलग-अलग तरह के फ़ायदे होते हैं। ये लंबे समय के लिए पैसे बनाने में निवेशकों की मदद कर सकते हैं। ग्लोबलाइजेशन का धन्यवाद! जिसने विदेशों में निवेश करने के अवसर खोलें, साथ ही निवेशकों को अंतरराष्ट्रीय बाजारों में निवेश कर उनके पोर्टफोलियो में विविधता लाने और भारतीय बाजारों के इतर निवेश के अवसरों को खोजने और भुनाने की अनुमति दी है।

विदेशी बाजारों में निवेश के अवसर और फ़ायदें

अंतरराष्ट्रीय बाजारों में निवेश करने से आपको आपके पोर्टफोलियो में विविधता लाने में मदद मिल सकती है, बेहतर नतीजें मिल सकते हैं और निवेशा का ये तरीका आपके पोर्टफोलियो के कुल जोखिम को कम भी कर सकता है।

ग्लोबल मार्किट में निवेश करने के अनूठे फायदें इस प्रकार हैं-

  • विविधता

भौगोलिक बदलाव विदेशी बाजार में निवेश करने के लिए एक मान्य प्रेरणा है क्योंकि यह आपको अलग–अलग बाजारों में आपकी पहुँच बनाने और सफल होने में मदद करती है। उसके अलावा यह आपके घरेलू निवेश को नुकसान पहुंचाने वाली किसी भी नकारात्मक आर्थिक घटनाओं और बाजार के उतार-चढ़ाव से पोर्टफोलियो की सुरक्षा करने में भी मदद करती है।

2) वैश्विक पहुँच के द्वारा बढ़ोतरी

बिना किसी संदेह के, भारत की अर्थव्यवस्था सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्थाओं में से एक है और ये अपार संभावनाएं भी प्रदान करती है। हालाँकि, भारतीय बाजार अभी भी अपने विकास की प्रक्रिया में है और इस कारण आपके ग्राहकों को निवेश के लिए विभिन्न विकल्प नहीं मिल सकते हैं। जबकि अंतरराष्ट्रीय बाज़ारों में निवेश, निवेशकों को अन्य अर्थव्यवस्थाओं की बढ़त में हिस्सा लेने की इजाज़त देता है।

विदेशी बाजारों में कैसे निवेश करें?

कुछ साल पहले, विदेशी बाजारों में निवेश करना छोटे निवेशकों के लिए किसी भारी चुनौती से कम नहीं था। लेकिन आज हमारे बीच निवेश के कई विकल्प मौजूद हैं जो निवेशकों को विदेशी बाजारों में आसानी से निवेश करने के लिए प्रेरित करते हैं। यह ब्लॉग आपके पोर्टफोलियो में विदेशी निवेश की पहुँच बनाने के सबसे सरल तरीकों पर एक सरसरी नज़र डालता है-

  1. ईटीएफ के माध्यम से निवेश करना

आप एक विदेशी व्यापार खाता (ओवरसीज़ ट्रेडिंग अकाउंट) खोलकर अंतरराष्ट्रीय सूचकांकों (इंटरनेशनल इंडेक्सेस) के ईटीएफ खरीदकर अंतरराष्ट्रीय बाजारों में अपनी पहुँच बना सकते हैं ये आपको अंतरराष्ट्रीय शेयरों का लाभ देगा। जैसा ही ईटीएफ इंडेक्सेस में मूमेंट यानी उतार-चढ़ाव होते हैं, वे आपके बाजार के निवेश के जोखिम और खरीद-बिक्री संबंधी जोखिम को खत्म करने में मदद करते हैं।

  1. म्यूचुअल फंड

आपके पोर्टफोलियो में अंतरराष्ट्रीय पहुँच पाने का सबसे आसान तरीका भारत में रजिस्टर्ड म्यूचुअल फंड के द्वारा मौजूद है। म्यूचुअल फंड आपको आपके फंड को अंतरराष्ट्रीय बाजारों में मैनेज करने के लिए फंड मैनेजर के पेशेवर ज्ञान और विशेषज्ञता का फायदा लेने में मदद करते हैं। ऐसी कईं अलग-अलग म्युचुअल फंड स्कीम्स हैं जो निवेश के लिए अंतरराष्ट्रीय प्रोडक्ट्स की पेशकाश करते हैं

क) अंतरराष्ट्रीय एफओएफ

ये फंड भारत के बाहर कई अन्य देशों में निवेश करते हैं।

ख) कंट्री स्पेसिफिक फंड्स

ये फंड्स कंट्री स्पेसिफिक फंड्स हैं और ये कुछ चुने हुए देश, जैसे कि ब्राजील, स्पेन, यूएस आदि के बाजारों में निवेश करते हैं।

ग) सेक्टर स्पेसिफिक फंड्स

ये फंड अलग-अलग देशों में चुने हुए क्षेत्रों जैसे ऊर्जा, सोना, आदि में निवेश करते हैं।

फॉरेन फंड्स में निवेश के फ़ायदे और नुकसान

विदेशी फंड में निवेश करने से निवेशक को कई फायदे मिलते हैं। यह खुदरा निवेशकों यानी (रिटेल इन्वेस्टर्स) को उनके देश की करेंसी में अन्य देशों के शेयर बाजारों में निवेश करने की इजाज़त देते हैं और अलग-अलग देशों में अपने पोर्टफोलियो के लिए वहाँ के इन्वेस्टमेंट प्रोडक्ट में निवेश करने में मदद करते हैं। पेशेवर मैनेजमेंट और आसानी से नकद में बदलाव जैसी सुविधाएं निवेशकों के लिए इन फंड्स में निवेश करने को बेहद सुविधाजनक बनाते हैं।

हालांकि, बाकी अन्य निवेश की तरह, विदेशी फंड्स में निवेश करने के भी अपने नुकसान हैं। इसमें निवेश करने से पहले सोचने वाले बाज़ार संबंधी कुछ प्रमुख जोखिमों में करेंसी से जुड़े उतार-चढ़ाव से प्रभावित होने वाले निवेश का मूल्य शामिल है। इसके अलावा, जहाँ निवेश किया जाता है उस देश/देशों में कोई भी राजनीतिक, सामाजिक या आर्थिक अशांति आपके पोर्टफोलियो को नुकसान पहुंचा सकते हैं।

ख़र्च और लागत

विदेशी म्यूचुअल फंड्स हर साल 0.5% से 2.5% तक का का ख़र्च लेते हैं ये खर्च सभी तरह की लागतों को मिलाकर लिया जाता है। ऐसे में आपको किसी भी मुद्रा रूपांतरण (करेंसी एक्सचेंज) या अन्य खर्चें का भुगतान करने की कोई ज़रूरत नहीं होती है।

बात अगर इस पर लगने वाले टैक्स की करें तो, विदेशी फंड्स में निवेश से मिलने वाले लाभ पर उसी तरह से टैक्स लगाया जाता है जैसे डेट फंड के निवेश पर लगाया जाता है। यदि आपके निवेश का होल्डिंग पीरियड यानी निवेश को बनाए रखने का पीरियड 3 साल या उससे ज़्यादा है, तो आपके द्वारा कमाए लाभ पर 20% टैक्स लगाया जाता है। वहीं यदि आपके निवेश का होल्डिंग पीरियड 3 सालों से कम है, तो विदेशी फंड्स से हुआ लाभ आपकी कुल आय में जुड़ जाता है और आपके टैक्स स्लैब के अनुसार आप पर टैक्स लगाया जाता है।

निष्कर्ष

एक निवेशक के रूप में, आपको अपने पोर्टफोलियो का पूरा तरह से विविधीकरण यानी उसमें (अलग–अलग तरह के अंतरराष्ट्रीय इन्वेस्टमेंट प्रोडक्ट्स में पैसे लगाने) और अपने पोर्टफोलियो के जोखिम को कम करने के लिए अलग–अलग देशों के इन्वेस्टमेंट प्रोडक्ट्स जोड़ने चाहिए। वित्तीय सलाहकारों (फाईनेंशियल एडवाइज़र्स) से सलाह लेना और उनके माध्यम से म्यूचुअल फंड्स में निवेश करने से आपको आपके लक्ष्यों को प्राप्त करने में मदद मिल सकती है।

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