इन विभिन्न प्रकार के इन्वेस्टर्स की निवेश प्राथमिकता के अनुसार, म्यूचुअल फंड भी विभिन्न तरह के होते हैं। ऐसा ही एक एडिशन हाइब्रिड म्यूचुअल फंड्स का है जो मिडिल क्लास इन्वेस्टर्स के लिए उपयुक्त है जो जोखिम की स्थिति के बीच में होते हैं। आइए हाइब्रिड म्युचुअल फंड के कांसेप्ट और उनसे जुड़े टैक्स को समझते हैं –
हर इन्वेस्टर अलग होता है। कुछ ऐसे हैं जो जोखिम लेना पसंद करते हैं और हाई रिटर्न का आनंद लेते हैं। दूसरी ओर, कुछ ऐसे भी हैं जो जोखिम लेने के मामले में बहुत सतर्क हैं। वे लो रिटर्न पर भी खुश रहते हैं जब तक कि उनकी पूंजी सुरक्षित रहती है। इसके बाद वे इन्वेस्टर आते हैं जो जोखिम की स्थिति के बीच में हैं। वे बहुत आक्रामक नहीं होते हैं और न ही बहुत सतर्क हैं। वे मध्यम रिटर्न के साथ मध्यम जोखिम की तलाश करते हैं।
हाइब्रिड म्यूचुअल फंड क्या हैं?
हाइब्रिड फंड म्यूचुअल वो फंड हैं जो इक्विटी के साथ-साथ डेट इंस्ट्रूमेंट्स दोनों में निवेश करते हैं। इक्विटी म्यूचुअल फंडों में इक्विटी इन्वेस्टमेंट की स्थिरता को डेट म्यूचुअल फंडों में स्थिरता से जोड़ा जाता है, जिससे निवेशकों को दोनों का सबसे अच्छा लाभ मिलता है।
हाइब्रिड म्यूचुअल फंड के प्रकार-
फंड के पोर्टफोलियो के एसेट एलोकेशन के आधार पर हाइब्रिड म्यूचुअल फंड्स को अलग-अलग कैटेगरी में बांटा गया है। हाइब्रिड फंड की इन सब-कैटेगरिज़ में निम्नलिखित शामिल हैं –
1.बैलेंस फंड-
बैलेंस्ड फंड वे फंड होते हैं, जहां पोर्टफोलियो का कम से कम 65% हिस्सा इक्विटी और इक्विटी ओरिएंटेड इंस्ट्रूमेंट्स में लगाया जाता है। और बाकि लोन और मुद्रा बाजार (मनी मार्किट) जैसे साधनों में निवेश किया जाता है।
2. मासिक आय योजनाएं
ये फंड वे हैं जो अपने पोर्टफोलियो का कम से कम 65% डेट और डेट संबंधित इंस्ट्रूमेंट्स में निवेश करते हैं। पोर्टफोलियो का 15% से 20% इक्विटी में निवेश किया जाता है। मासिक आय योजनाएं (मंथली इनकम पॉलिसी) निवेशकों को लाभांश (डिविडेंट) के माध्यम से रेगुलर रिटर्न की अनुमति देती हैं। इन्वेस्टर अपनी आवश्यकताओं के आधार पर लाभांश (डिविडेंट) प्राप्त करने का विकल्प चुन सकते हैं। इसके अलावा, वहाँ एक विकास विकल्प (ग्रोथ आप्शन) भी है, जहाँ नियमित लाभांश (रेगुलर डिविडेंट) प्राप्त करने के बजाय, बाजार की चाल के अनुसार पोर्टफोलियो बढ़ता है। इसलिए, एमआईपी नियमित रूप से आय दे सकता है या नहीं भी दे सकता ये इन्वेस्टर द्वारा चुने गए फंड आप्शन के आधार पर निर्भर हो सकता है।
3. आर्बिट्राज फंड्स
इन फंडों में, फंड मैनेजर पोर्टफोलियो के एस्सट्स को कैश मार्किट से खरीदता है और रिटर्न बनाने के लिए उन्हें हाई वैल्यू पर फ्यूचर या डेरिवेटिव मार्किट में बेचता है। हालांकि, आर्बिट्राज के अवसर उपलब्ध नहीं हैं, तो फंड मैनेजर लोन इंस्ट्रूमेंट्स या कैश में इन्वेस्ट करते हैं।
हाइब्रिड फंड की टैक्स कैलकुलेशन
हाइब्रिड फंड में निवेश का टैक्स कैलकुलेशन फंड के एसेट एलोकेशन पर निर्भर करता है। यदि फंड इक्विटी-ओरिएंटेड है, तो इसे इक्विटी म्यूचुअल फंड के रूप में माना जाता है और उसी के अनुसार टैक्स लगाया जाता है। दूसरी ओर, यदि फंड लोन में अपनी संपत्ति का 65% या अधिक निवेश करता है, तो फंड को डेट म्यूचुअल फंड माना जाता है और उसी के अनुसार टैक्स लगाया जाता है। तो, यहाँ विभिन्न प्रकार के हाइब्रिड फंड टैक्स लगाए जाते हैं –
हाइब्रिड फंड्स के प्रकार |
इन्वेस्टमेंट पर टैक्स |
रिटर्न्स पर टैक्स |
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बैलेंस फंड (इक्विटी आधारित हाइब्रिड फंड्स) |
हाइब्रिड फंड्स में निवेश पर किसी तरह की कोई टैक्स छूट नहीं है।
इन्वेस्टमेंट की यह राशि निवेशक के टैक्स काटने के बाद की आय होती है । |
छोटी अवधि के लिए- यदि फंड छोटी अवधि (12 महीनें) के लिए निवेश किया जाता है तो उससे हुआ लाभ शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन कहलाता है।
शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन पर 15% टैक्स |
लम्बे समय के लिए:
यदि फंड 12 महीनों के लिए रखा जाता है तो उसे लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन माना जाता है।
लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन पर 10% टैक्स। यदि उससे सालाना आय 1 लाख से अधिक है। |
मंथली इनकम प्लांस (डेट आधारित हाईब्रिड
फंड्स) |
हाइब्रिड फंड्स में निवेश पर किसी तरह की कोई टैक्स छूट नहीं है।
इन्वेस्टमेंट की यह राशि निवेशक के टैक्स काटने के बाद की आय होती है। |
छोटी अवधि के लिए-
यदि फंड का निवेश 36 महीनों से कम समय के लिए किया जाता है।
शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन- निवेशक के टैक्स स्लैब की दर के अनुसार। |
लॉन्ग टर्म- यदि फंड का निवेश 36 महीनों से अधिक समय के लिए किया जाता है। तो वह लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन की श्रेणी में आता है।
लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन पर टैक्स- 20%, सभी लाभों का सूचीकरण करने के बाद। |
आर्बिट्राज फंड्स (इक्विटी आधारित हाइब्रिड फंड्स) । |
हाइब्रिड फंड्स में निवेश पर किसी तरह की कोई टैक्स छूट नहीं है।
इन्वेस्टमेंट की यह राशि निवेशक के टैक्स काटने के बाद की आय होती है। |
शॉर्ट टर्म
यदि फंड का निवेश 12 महीने से कम अवधि के लिए किया जाता है। तो वह निवेश शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन कहलाता है।
शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन पर टैक्स-15% |
लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन
यदि फंड का निवेश 12 महीनों से ज्यादा समय के लिए किया जाता है। तो वह लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन कहलाता है।
लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन पर टैक्स- 10% टैक्स यदि कैपिटल गेन के निवेश की रकम 1 लाख से ज़्यादा हो तो। |
यदि आप एक सुलझे हुए निवेशक हैं तो, हाइब्रिड फंडों की अवधारणा को समझें। जो कि अपने जोखिम को कम कर इक्विटी के द्वारा हाई रिटर्न की उम्मीद है करते हैं।