इस बात मे कोई दो राय नही की धन से स्वास्थ्य नही खरीदा जा सकता, परंतु स्वास्थ्य बीमा पर खर्च किया थोड़ा धन ही आने वाली आकस्माक परिस्तिथियो से ना सिर्फ़ आपके और आपके परिवार को बचाता है, बल्कि आयकर बचत में भी मदद करता है|
आज का शहरी मध्यम वर्गीय इंसान काम मे औसत से ज़्यादा समय व्यतीत करता है, ज़्यादार समय व्यस्त रहता है, भीड़-भाड़ वाली ट्रेनो अथवा सार्वजनिक परिवहन से सफ़र करता है, ख़ानपान असंतुलित रखता है अथवा जंक फूड का सेवन ज़्यादा करता है| ऐसी आदतों के साथ, आज के समय मे खुद को एवं परिवार को बीमारियों से आवृत्त रखना बहुत आवश्यक है|
एक व्यस्त जीवन-चर्या, बीमा चयन अथवा बीमा नवीकरण(renewal) के समय आने वाली छोटी छोटी गंभीर बातों के आड़े नही आनी चाहिए| बीमा चयन के वक्त कुछ असाधारण लेकिन बेहद ज़रूरी बातों को नज़रअंदाज़ करने से ख़ासे आउट-ऑफ-पॉकेट (Out of Pocket) यानी बीमा कवर के बाहर किया हुआ खर्च का सामना करना पड़ सकता है| स्तो आये जानते है सवास्थ्य बीमा संबंधित पाँच असाधारण बातें, जिनका ध्यान बीमा ख़रीदने के वक्त देना चाहिए-
1. आजीवन नवीनीकरण(Lifelong Renewal):
एक आजीवन नवीनीकरण प्लान ये सुनिश्चित करता है की ग्राहक उम्र भर बिना किसी चिंता या अवरोध के बीमा को नवीकृत कर सकता है| सेवानिवृत व्यक्तियों के लिए आजीवन नवीनीकरण के विकल्प वाले बीमा आकस्मिक बीमारियों से रक्षा करते हैं तथा बार-बार होने वाले खर्चों से भी बचाते हैं| स्वास्थ्य सेवाओं मे होने वाले स्फीति से खुद को सुरक्षित करने के लिए एक आजीवन बीमा लेना बेहद ज़रूरी है|
भारतीय बीमा विनियामक और विकास प्राधिकरण (IRDAI) के संशोधित दिशानिर्देशो के अनुसार सभी स्वास्थ्य बीमा पॉलिसियों को आजीवन नवीकृत होना ज़रूरी है, ना की सिर्फ़ 65-70 साल उम्र के दायरे तक|
2. शून्य दावा आधारित लोडिंग(No Claim-Based Loading):
ये ज़्यादातर माना जाता है की यदि साल मे एक बारी क्लेम लिया गया है तो अगले नवीनीकरण मे ज़्यादा प्रीमियम भरना पड़ेगा| प्रीमियम की कायम आधारित लोडिंग आज से तकरीबन 3-4 साल पहले तक मौजूद थी, लेकिन बीमा प्राधिकरण ने अब इसपर रोक लगा दी है | अब स्वास्थ्य .बीमाकर्ता किसी व्यक्ति विशेष के क्लेम अनुभव के आधार पर उससे ज़्यादा कम प्रीमियम नही चार्ज कर सकते| प्रीमियम मे कोई भी बदलाव एक बड़े समूह अथवा उपसमूह के लिए होगा जिसका किसी व्यक्ति विशेष के विगत वर्ष के क्लेम अनुभव से कोई नाता नही होगा| अब आप अग्रिम वर्ष मे ज़्यादा प्रीमियम ना भरने की चिंता से मुक्त होकर वर्तमान वर्ष मे स्वास्थ्य संबंधित क्लेम ले सकते हैं|
3. रूम चार्ज पर प्रतिबंध(Room Charges Restrictions):
अस्पताल का शुल्क, कमरे के किराए के हिसाब से बनता है जो अलग-अलग कमरों (सामान्य, सहभाजीत, प्राइवेट, डीलक्स, सूपर डीलक्स आदि.) के लिए अलग-अलग हो सकता है| बीमाकर्ता सिर्फ़ अस्पताल का अतिरिक्त बिल ही नही चार्ज करते अपितु रूम से संबंधित बाकी की स्वास्थ्य सेवायें एवं कोँसुमाबल्स भी उसी अनुपात मे चार्ज करते हैं|
उदाहरण के तौर पे, एक पॉलिसी जिसकी सुनिश्चित राशि 4 लाख है, 1 प्रतिशत रूम-रेंट कॅपिंग के साथ, अस्पताल अगर आपसे दिन का 8000 रूम रेंट चार्ज करता है, तो बीमा पॉलिसी आपको सिर्फ़ 4000 दैनिक के हिसाब से ही कवर उपलब्ध कराती है| आप ना सिर्फ़ अतिरिक्त 4000 अपनी जेब से भरते हैं, अपितु उस रूम से संलग्न बाकी की सेवायें भी उसी अनुपात मे आपसे चार्ज की जाती हैं| रूम रेंट की अप्पर कॅपिंग आपके हॉस्पिटल बिल को बहुत प्रभावित करती है|
4. उपभोग्य / कॉनस्यूमाबल्स (Consumables) बीमा कवर का हिस्सा नही होते:
कॉनस्यूमाबल्स के खर्चे हमेशा कवरेज केअतिरिक्त होते हैं, जैसे की टॉयलेटरीज़, सौंदर्य प्रसाधन, तथा निजी सुविधा मे उपयोग लाई वस्तुए|इनका खर्च कुल बिल के 5 पर्सेंट से ज़्यादा नही होता और खुद की जेब से भरना होता है|
5. पॉलिसी को पोर्ट करवाया जा सकता है:
एक बीमाकृत अपनी पॉलिसी को एक बीमाकर्ता से दूसरे बीमाकर्ता तथा एक ही बीमाकर्ता के एक प्लान से दूसरे प्लान (पारिवारिक कवर भी) के पोर्ट (परिवर्तित) करवा सकता है, बशर्ते पुरानी पॉलिसी बिना किसी विराम के कायम करी गयी हो|
यदि भारतीय स्वास्थ्य बीमा उद्योग की बात करें तो इसमे विस्तार, फलने-फूलने तथा मेच्यूर होने की बहुत संभावनायें हैं| स्वास्थ्य प्रदाता एवं कन्ज़्यूमर के बीच के ईको-सिस्टम मे भारतीय स्वास्थ्य बीमा का बुलंद होना निश्चित है| बतौर बीमा एजेंट ये आपकी ज़िम्मेदारी है की पॉलिसी के अनिवार्य सार-तत्व को बीमाकर्ताओं के समक्ष – नवीन पॉलिसी लेते समय अथवा नवीनीकरण कराते समय सही तरीके से बतलाया जाए| स्वास्थ्य बीमा मे किया गया छोटा निवेश ना सिर्फ़ आपको मन की शांति देता है बल्कि कठिन समय मे बड़े फ़ायदे भी देता है| हमे ऐसा बीमा खरीदना चाहिए जो हमे सर्वाधिक कवरेज और सबसे अधिक लाभ दे|
सुरक्षित रहिए, सुखी रहिए|