जब बात इनकम टैक्स रिटर्न जमा करने की आती है, तो ऐसे बहुत सारे सवाल होते हैं, जिनका लोगों को सामना करना पड़ता है। वे अपनी इनकम के कुछ टैक्स ट्रीटमेंट को समझ नहीं पाते हैं कि वे कुछ विशेष प्रकार के एक्स्पेंसेस पर मिलने वाली छूट को किस तरह से क्लेम कर सकते हैं, आखिरकार, टैक्स एक तकनीकी काम है और इसके सार को समझना एक चुनौतीपूर्ण काम हो सकता है। ऐसे में लोगों के पास विभिन्न प्रकार के जो सबसे सामान्य और जटिल प्रश्न हैं, उनके हल यहाँ नीचे मौजूद हैं-
क्वेरी # 1 – क्या कोई व्यक्ति अपने वयस्क बच्चों के लिए भुगतान किए गए लाइफ़ इंश्योरेंस प्रीमियम के लिए सेक्शन 80 सी की डिडक्शन का क्लेम कर सकता है?
सेक्शन 80 सी काफी लोकप्रिय है क्योंकि यह टैक्सपेयर को विभिन्न इन्वेस्टमेंट्स और एक्स्पेंसेस के द्वारा उनकी टैक्सबल इनकम को 1.5 लाख रुपये तक कम करने की अनुमति देती है। एक ऐसा इन्वेस्टमेंट जो सेक्शन 80 सी के तहत टैक्स सेविंग करता है, वह है लाइफ़ इंश्योरेंस पॉलिसी के लिए दिया गया प्रीमियम। जबकि कई लोग जानते हैं कि स्वयं के लिए भुगतान किए गए प्रीमियम को सेक्शन 80 सी के तहत डिडक्शन की अनुमति है, लेकिन परिवार के बाकी सदस्यों के लिए दिए गए प्रीमियम का क्या?
सेक्शन 80 सी स्वयं, जीवनसाथी और बच्चों के लिए दिए गए प्रीमियम पर डिडक्शन की अनुमति देता है। बच्चा वयस्क या नाबालिग भी हो सकता है लेकिन यदि टैक्सपेयर पॉलिसी होल्डर है, यानी जो प्रीमियम का भुगतान करता है, तो वह अपने बच्चे की लाइफ़ इंश्योरेंस पॉलिसी पर दिए गए प्रीमियम पर डिडक्शन का क्लेम कर सकता है।
प्रश्न # 2 – अचल संपत्ति (फिक्स्ड एसेट्स) बेचते समय, टीडीएस का भुगतान कौन करेगा और क्यों?
अचल संपत्ति (फिक्स्ड एसेट्स) की बिक्री के मामले में, अगर बेची जा रही संपत्ति का मूल्य रु 50 लाख से अधिक है, तो संपत्ति खरीदने वाले व्यक्ति को सेल इनकम @ 1% टीडीएस काटने की ज़रूरत है। टीडीएस डिडक्शन ज़रूरी है और खरीदार को टीडीएस काटना चाहिए और संपत्ति बेचने वाले को शेष राशि का भुगतान करना चाहिए। हालांकि यदि , सेलर की इनकम टैक्स लाइअबिलिटी टीडीएस डिडक्शन की तुलना में कम है, तो वह अपना रिटर्न जमा करने के समय काटे गए टीडीएस के लिए रिफंड का क्लेम कर सकता है।
प्रश्न # 3 – ईएलएसएस म्यूचुअल फंड के मामले में लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन्स टैक्स (LTCG) कैसे लगाया जाता है और यह इन्वेस्टमेंट को कैसे प्रभावित करता है?
अगर इक्विटी इनवेस्टमेंट को अब 12 महीने के बाद बेचा जाता है तो यह लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन्स (LTCG) टैक्स की श्रेणी में आता हैं। चूंकि इक्विटी लिंक्ड सेविंग स्कीम (ईएलएसएस) 3 साल की लॉक-इन अवधि के साथ एक इक्विटी लिंक्ड इन्वेस्टमेंट है, इस प्लान से मिलने वाले रिटर्न एलटीसीजी टैक्स श्रेणी के होंगे। टैक्स रेट 10% है और यह तभी लागू होगा जब इक्विटी रिटर्न (सभी स्रोतों से) रु 1 लाख से अधिक हो। कर की गणना (टैक्स कैलकुलेशन) रु 1 लाख से अधिक लाभ की राशि पर की जाएगी। इसलिए, यदि इन्वेस्टर के पास रु 2 लाख की इक्विटी इनकम है, तो टैक्स केवल रु 1 लाख @ 10% पर लिया जाएगा जो रु 10,000 है।
ईएलएसएस रिटर्न पर टैक्स कैलकुलेशन का प्रभाव यह है कि इन्वेस्टर वो रिटर्न गवा सकते हैं जो वे कमा सकते थे।
प्रश्न # 4 – यदि माता-पिता के हेल्थ इंश्योरेंस प्रीमियम का भुगतान किया जाता है, तो (एक जिनकी आयु 60 वर्ष से कम है और दूसरे जिनकी आयु 60 वर्ष से अधिक है) के प्रीमियम पर कितने अमाउंट के डिडक्शन का क्लेम किया जा सकता है?
इनकम टैक्स एक्ट के सेक्शन 80 डी के तहत, वरिष्ठ नागरिक (सीनियर सिटिज़न) माता-पिता के लिए भुगतान किए गए हेल्थ इंश्योरेंस प्रीमियम का क्लेम रु 50,000 तक के डिडक्शन के रूप में किया जा सकता है। हालांकि, अगर माता-पिता वरिष्ठ नागरिक नहीं हैं, तो जो एक्स्ट्रा डिडक्शन उपलब्ध है, वह रु 25,000 तक का है। यदि माता-पिता की आयु अलग-अलग है, जिनमें एक वरिष्ठ नागरिक हैं, जबकि दूसरा नहीं है, तो दोनों पेरेंट्स के लिए एक अलग से फैमिली फ्लोटर सीनियर सिटिज़न हेल्थ इंश्योरेंस प्लान खरीदना बेहतर है। चूंकि फैमिली फ्लोटर प्लान सबसे बड़े सदस्य की उम्र के आधार पर प्रीमियम की कैलकुलेशन करते हैं, इसलिए माता-पिता, जो कि वरिष्ठ नागरिक (सीनियर सिटिज़न) हैं, फ्लोटर पॉलिसी के प्रीमियम की गणना करते समय ध्यान में रखे जाएंगे। जबकि प्लान के तहत दोनों पेरेंट्स को कवरेज की अनुमति दी जाएगी, और डिडक्शन के लिए रु 50,000 तक का क्लेम किया जा सकता है।
हालांकि टैक्स संबंधी प्रश्न थोड़े जटिल हो सकते हैं, लेकिन थोड़ा सा ज्ञान समाधान दे सकता है। इसलिए, हमेशा अपनी जानकारी बढ़ाते रहें और शिक्षित हों ताकि आप अपने ग्राहकों के टैक्स से जुड़े सवालों का सामना करने पर भी उन्हें शिक्षित कर सकें।