आज के हालात में हर व्यक्ति के लिए एक अच्छी हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी का होना लगभग अनिवार्य हो गया है। लेकिन फिर भी ऐसे बहुत ही कम लोग होते हैं जो हेल्थ इंश्योरंस पॉलिसी के फायदों के बारे में जानते हैं। जबकि बहुत से लोग सिर्फ टैक्स सेविंग के उद्देश्य से हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी लेते हैं।
जो लोग हेल्थ पॉलिसी लेना चाहते हैं वो इसलिए नहीं ले पाते हैं क्योंकि अनेकों पॉलिसी में से उनके लिए सही पॉलिसी कौन सी है, इसका वे निर्णय नहीं कर पाते हैं। इस स्थिति में आप उनकी ज़रूरत को देखते और समझते हुए एक अच्छे हेल्थ इंश्योरेंस प्लान का सुझाव दे सकते हैं।
किसके लिए कौन सा प्लान अच्छा है और क्यों?
अपने क्लाइंट को बहुत आसान और सरलता से समझ में आने वाली भाषा और शब्दों का इस्तेमाल करते हुए हर प्लान के बारे में विस्तार से बताएं।अब इसके बाद उन्हें सोचने और निर्णय लेने का मौका दें, कि उनके लिए इंडिविजुयल प्लान, फैमिली फ्लोटर या सीनियर सिटीज़न हेल्थ प्लान में से सबसे अच्छा और उपयुक्त प्लान कौन सा है। उनके विचार जानने के बाद आप अपने सुझाव दे सकते हैं। आप उन्हें बता सकते हैं कि कोई एक प्लान क्यों उनके लिए प्लान अच्छा है, उसमें क्या स्पेशल फीचर हैं और इसमें क्या राइडर मिल सकते हैं और इससे उन्हें क्या लाभ हो सकता है।
फैमिली फ्लोटर या इंडिविजुयल?
जब भी आप अपने क्लाइंट को फैमिली फ्लोटर या इंडिविजुयल प्लान में से किसी एक का सुझाव दें तो उससे पहले उनके परिवार में कितने सदस्य हैं, उनकी क्या उम्र है और उनकी हेल्थ हिस्ट्री के साथ ही उन्हें किस प्रकार के हेल्थ कवरेज की ज़रूरत है, यह ज़रूर देख लें।
जैसे अगर आपका कोई क्लाइंट जिसकी उम्र 35 वर्ष है, अपने लिए एक हेल्थ पॉलिसी लेना चाहता है और उसकी पत्नी की उम्र 31 वर्ष है। उनके परिवार में दो बच्चे हैं, जिनकी आयु 7 और 4 वर्ष हैं, वृद्ध माता-पिता हैजिनकी आयु 65 वर्ष और 58 वर्ष है। अब देखा जाये तो इन्हें एक फ्लोटर प्लान लेना ठीक रहेगा क्योंकि इसका प्रीमियम कम और लाभ अधिक हैं, लेकिन माता-पिता की आयु को देखते हुए यह प्लान ठीक नहीं रहेगा। इस समय आप उनके माता-पिता के लिए एक अलग से फ्लोटर प्लान का सुझाव दे सकते हैं। इसके साथ ही आप उन्हें, अपने और अपनी पत्नी के साथ बच्चो के लिए एक अच्छा फ्लोटर प्लान का सुझाव दे सकते हैं। लेकिन इससे पहले यह देख लें कि आपके क्लाइंट्स में से किसी सदस्य को किसी प्रकार की कोई गंभीर बीमारी न हो। यदि ऐसा है तब आप उस सदस्य के लिए अलग से एक इंडिविजियुल प्लान का सुझाव दे सकते हैं।
प्लान का सलेक्शन ध्यान से करें
आपके क्लाइंट के लिए किस प्रकार का प्लान ठीक रहेगा, यह देखने के लिए आपको कुछ बातों को ध्यान में रखना होगा:
- कैशलेस या रिम्बर्स्मेंट: आप अपने क्लाइंट को कैशलेस क्लेम का सुझाव दे सकते हैं क्योंकि इससे उन्हें किसी भी समय अचानक खर्चे का सामना नहीं करना होगा।
- सुरक्षा राशि: अपने क्लाइंट की जरूरतों को ध्यान से सुनें। इसके बाद, सही सुरक्षा राशि को मालूम करने के लिए उनसे कुछ सवाल पूछें, जैसे अस्पताल में भर्ती होने पर औसतन कितना खर्च होने की उम्मीद वो करते हैं, उनके परिवार में उनके ऊपर आश्रित कितने सदस्य हैं और कितना एमाउंट वो हर महीने दे सकते हैं, आदि।
- ज़रूरत के अनुसार कवरेज सेलेक्ट करें: उन्हें कवरेज के बारे में बताते समय उन जरूरतों की ओर अपने क्लाइंट का ध्यान दिलवाएँ जो आने वाले समय में हो सकती हैं, जैसे परिवार में अगर कोई सदस्य ऐसा है जो निकट भविष्य में फैमिली प्लान कर सकता है, उनके लिए मैटरनिटी कवरेज, परिवार के ऐसे वृद्ध सदस्य जिन्हें पहले से कोई बीमारी है, के लिए प्री-एक्ज़ीस्टिंग डिसिज कवर ठीक रहता है। इसके अतिरिक्त यदि परिवार में कोई सदस्य किसी गंभीर बीमारी से पीड़ित है तब क्रिटिकल इलनेस कवर की सलाह आप दे सकते हैं।
- पेरेंटल कवरेज के लिए को–पे ऑप्शन को देखें: यदि आप क्लाइंट के वृद्ध माता-पिता के लिए किसी प्लान का सुझाव दे रहे हैं तब उन्हें को-पे ऑप्शन के बारे में ज़रूर बताएं। उन्हें यह भी बताएं कि को-पे लेने पर उन्हें कम प्रीमियम पर अधिक कवरेज लाभ मिल सकता है।
- अस्पताल के खर्चों के लिए सब–लिमिट को भी देखें: क्लाइंट के अलग-अलग कारणों से होने अस्पताल के खर्चे जैसे केटेरेक्ट ऑपरेशन, प्लास्टिक सर्जरी या दूसरा कोई प्री-प्लान किया हुआ प्रोसीजर में किस सीमा तक इंश्योरेंस होगा, यह पहले ही देख लें। इसके अलावा अस्पताल के कमरे का किराया, आई सी यू चार्ज और दूसरे खर्चों में भी इंश्योरेंस की ओर से कितनी राशि मिलेगी, इसकी जानकारी भी प्लान बताते समय क्लाइंट को दे दें।
6 बातें जिनका ध्यान एक अच्छे प्लान का चयन करते समय रखना चाहिए
- हॉस्पिटल नेटवर्क: अपने क्लाइंट से पहले उसके पसंदीदा अस्पताल का नाम जानें और फिर उन्हें उस प्लान के बारे में बताएं जिसमें वह अस्पताल शामिल हो। नहीं तो आप उन्हें वह प्लान बता सकते हैं जिसमें अस्पतालों की संख्या अधिक हो।
- इंश्योरेंस कंपनी के क्लेम का अनुपात: अपने क्लाइंट को उसी प्लान का सुझाव दे सकते हैं जहाँ क्लेम का अनुपात ऊंचा हो जिससे आपके क्लाइंट को जरूरत पड़ने पर क्लेम सेटलमेंट किसी प्रकार की परेशानी का सामना न करना पड़े।
- क्लेम प्रोसेस: अपने क्लाइंट को क्लेम लेने की पूरी प्रोसेस के बारे में बताएं और वही प्लान उन्हें बताएं जिसकी क्लेम का प्रोसेस सरल और सबसे अच्छा हो।
- क्या शामिल नहीं है: क्लाइंट को प्लान देते समय यह भी बताएं कि उसमें क्या-क्या शामिल नहीं है। बस इस बात का धान रखें कि इनमें आपके क्लाइंट की कोई ज़रूरत की बातें शामिल हो।
- प्लान के रिवियु भी देखें :प्लान देखते समय उसके दूसरे यूजर्स के दिये हुए रिवियु भी आपको देखने चाहिए जिससे आप प्लान के सभी फीचर्स को अच्छी तरह समझ सकें।
- प्रीमियम और लाभ की तुलना: अपने क्लाइंट के लिए एक अच्छे प्लान के बारे में अंतिम निर्णय लेने से पहले, हर प्लान का कॉस्ट-बेनिफ़िट एनेलेसिस ज़रूर करें। इसके अनतर्गत आप प्लान पर होने वाला क्लाइंट का खर्चा और उसपर मिलने वाले लाभों को आपस में कंपेयर किया जाता है। इसके बाद क्लाइंट कितना खर्चा कर सकता है, इसके आधार पर और उनकी जरूरत क्या है, को ध्यान में रखते हुए एक अच्छा प्लान बताएं।
4 बातें जिन्हें समझना बहुत जरूरी है
- एनसीबी: अपने क्लाइंट को ‘नो-क्लेम बोनस’ के बारे में सब कुछ बताएं और उन्हें उनके इंश्योरेंस अमाउंट को 50% से 100% करने में मदद करें।
- रिनियूएबिलिटी ऐज : क्लाइंट को उस प्लान के बारे में बताएं जिसकी रिनियूएबिलिटी सबसे अधिक या आजीवन हो।
- पहले से हुई बीमारी की स्थिति में वेटिंग पीरियड: अगर आपके क्लाइंट को डाइबिटिज़, हार्ट डिसिज या और कोई बीमारी पहले से ही है तब आप उन्हें उस प्लान के बारे में बताएं जिसमें प्री-एग्ज़ीस्टिंग बीमारी के लिए वेटिंग पीरियड सबसे कम हो।
- जगह के अनुसार कवरेज और पॉलिसी लिमिटेशन: क्लाइंट के प्रीमियम की दर और कवरेज उस एरिया के अनुसार भी होता है जहाँ वो रहते हैं। इसलिए इन सभी बातों को ध्यान में रखकर ही क्लाइंट को एक अच्छी हेल्थ पॉलिसी के बारे में बताएं।
आपने क्लाइंट को अधिक से अधिक और सही जानकारी देने की ही कोशिश करें। इंश्योरेंस प्लान के बारे में आपके द्वारा दी गई महत्वपूर्ण जानकारी और इस बारे में आपकी नॉलेज ही आपके बिजनेस को बढ़ाने का मूल मंत्र है। जब आप अपने क्लाइंट की जरूरत के अनुसार उन्हें सही इन्फोर्मेशन देते हैं तो ऐसा करके आप अपना बिजनेस ही नहीं अपने क्लाइंट के साथ एक मजबूत रिश्ते की शुरुआत भी कर देते हैं।