सिर्फ़ बैंक अकाउट्स में पैसा रखने से आपके ग्राहकों को सबसे बढ़िया रिटर्न्स नहीं मिल सकते हैं। एक उच्च महंगाई की दर (हायर इन्फ्लेशन रेट) का मतलब होता है कि आने वाले समय में सामानों के दाम अधिक बढेंगे। ऐसे में, सिर्फ़ बैंक सेविंग पर भरोसा करने से आपके ग्राहक कुछ कदम पीछे छूट सकते हैं। आप उन्हें उनके धन को फायदेमंद विकल्पों में निवेश (इन्वेस्टमेंट) संबंधी सलाह दे सकते हैं जिससे कि वे न केवल बढ़ती महंगाई के प्रभाव से बच सकेंगे बल्कि अच्छे रिटर्न फंड भी तैयार कर सकें।
जब बात भारत में इन्वेस्टमेंट की आती है, तो फिक्स्ड डिपॉजिट या एफडी इन्वेस्टमेंट को एक पुराना और भरोसेमंद साधन माना जाता रहा है।
एफडी एक लोकप्रिय विकल्प कैसे है और इसके क्या लाभ हैं?
एफडी एक इन्वेस्टमेंट आप्शन के रूप में लंबे समय से बाज़ार में उपलब्ध है और इसकी मांग में कोई कमी नहीं आई है। ये अपने कुछ ख़ास कारणों से हमेशा से इन्वेस्टर्स के बीच लोकप्रिय रहा है। मूल रूप से, इन्वेस्टर्स की सोच के अनुसार एफडी बाकी इन्वेस्टमेंट के विकल्पों की तुलना में ज़्यादा सुरक्षित है। ऐसा इसलिए भी है क्योंकि बैंक शायद ही कभी दिवालिया होते हैं। हालांकि, आजकलबैंकों के बढ़ते घाटे के कारण उनके लाभ में कमी आ रही है। इसलिए, फिक्स्ड डिपोज़िट्स को पूरी तरह से सुरक्षित नहीं माना जा सकता है।
फिक्स्ड डिपॉजिट में निवेश करने से पहले,इन्वेस्टर्स अपने संभावित रिटर्न की गणना कर लेते हैं, क्योंकि फिक्स्ड डिपोज़िट्स गारंटेड रिटर्न देते हैं। दूसरा, पांच साल की फिक्स्ड डिपोजिट करने पर इन्वेस्टर्स को टैक्स बेनिफिट भी मिलता है। ऐसे इन्वेस्टमेंट को कर-मुक्त (टैक्स फ्री बेनिफिट) माना जाता है और निवेशक रु 1.5 लाख तक की कटौती का दावा कर सकते हैं जिससे उनकी टैक्स लायबिलिटी भी कम हो जाती है। इस प्रकार, फिक्स्ड डिपॉजिट इन्वेस्टर्स को उन फायदों की ओर आकर्षित करते हैं जो वे उन्हें प्रदान करते हैं।
एफडी की कमियां
- एफडी की लोकप्रियता के बावजूद, उनमें कुछ कमियां भी होती हैं। ऐसे में फिक्स्ड डिपॉज़िट्स में इन्वेस्टमेंट करने से पहले आपको उन कमियों के बारे में जान लेना चाहिए। यहाँ नीचे कुछ प्रमुख कमियों के बारे में बताया गया है।
- धारा 80TTA एक वित्तीय वर्ष में जमा कुल ब्याज पर रु 10,000 तक की कर कटौती की अनुमति देता है। हालांकि, ये सुविधा फिक्स्ड डिपॉज़िट्स में लागू नहीं है। दूसरे शब्दों में, ग्राहक को उस ब्याज पर टैक्स चुकाना होता है जो वे अपने फिक्स्ड डिपोजिट पर कमाते हैं
- एफडी से मिलने वाला रिटर्न लगभग एक ही तरह का रहा है। 1970 के दशक में ब्याज दरें (इंटरेस्ट रेट) 7.5% के आसपास थीं और वर्तमान में भी, ज़्यादातर बैंक हाईएस्ट इंटरेस्ट के रूप में 8% तक ही (इंटरेस्ट रेट) ऑफर करते हैं। हालांकि, पिछले 40 वर्षों में महंगाई की दर में 6% से 10% की बढ़ोतरी देखी गई है। इसलिए, जब बात महंगाई की दर की आती है, तो फिक्स्ड डिपोजिट पर मिलने वाले रिटर्न को फायदेमंद नहीं माना जाएगा।
- एफडी एक स्थाई निवेश है जिस कारण ज़रूरत पड़ने पर इसमें से नकदी निकालना आसान नहीं हैं। ऐसे में यदि किसी निवेशक को थोड़े बहुत रुपयों की ज़रूरत आन पड़े, तो उसे अपनी एफडी को तोड़ना होगा और इसके लिए निवेशक को एक तरह का जुर्माना भी देना होता है और ब्याज दरों में भी कमी को सहना पड़ता है।
- आमतौर पर बैंक रु 1 लाख तक की फिक्स्ड डिपोजिट पर ‘बैंक बीमा सुरक्षा’ देते हैं। जबकि इससे ज़्यादा राशि का फिक्स्ड डिपोजिट बैंक के डिफॉल्ट होने पर जोखिम की श्रेणी में आता है।
- फिक्स्ड डिपोज़िट्स केवल पांच साल के लिए टैक्स बेनिफिट देते हैं। जबकि अगर आप किसी और तरह के सेविंग में इन्वेस्टमेंट करते हैं, तो आपके निवेशपर लगने वाला टैक्स आपके हाथों में होगा क्योंकि वो आपकी टैक्सबल इनकम का एक हिस्सा बनेंगे।
दूसरा विकल्प – डेट म्यूचुअल फंड
फिक्स्ड डिपॉजिट में इन्वेस्टमेंट का एक और विकल्प, डेट म्यूचुअल फंड है। जोखिमों के आधार पर, डेट म्यूचुअल फंड, फिक्स्ड डिपॉजिट के समानांतर होता है क्योंकि ये फंड फिक्स्ड इनकम इंस्ट्रूमेंट्स में निवेश करता है। इसलिए, डेट फंड में भी फिक्स्ड डिपॉजिट की जोखिम का स्तर कम होता है। इसके अलावा, एफडी के मुकाबले डेट म्यूचुअल फंड पर मिलने वाला ब्याज काफी बढ़िया होता है।
आप क्लोज एंडेड एफएमपी (फिक्स्ड मैच्योरिटी प्लान) को भी चुन सकते हैं, जिसमें आपको फिक्स्ड डिपॉजिट के समान ब्याज की गारंटी के साथ डेट म्यूचुअल फंड का फ़ायदा भी मिलता है।
ऋण एमएफ के लाभ:
- डेट म्यूचुअल फंड ने अपने फंड्स में ऐसे कई फायदें जोड़े होते हैं जिनसे कि कम जोखिम लेने वाले इन्वेस्टर्स को ये फंड्स आकर्षक लगे। नीचे ऐसे ही कुछ प्रमुख फायदों के बारे में जानकारी दी गई हैं।
- एफडी पर डेट म्यूचुअल फंड का सबसे बड़ा फायदा उसकी लिक्विडिटी यानी उसका लचीला स्वभाव है। इस फंड में ग्राहकों को कम दरों के बारे में चिंता करने की कोई ज़रूरत नहीं होती और वो ज़रूरत पड़ने पर बिना किसी भी जुर्माना के अपनी जमा राशि को वापस निकल सकते हैं।
- डेट म्यूचुअल फंड्स पर मिलने वाला रिटर्न, इन्फ्लेशन रेट को समायोजित (एडजस्ट) कर दिया जाता है, क्योंकि ये फंड मार्केट लिंक्ड सिक्योरिटीज में इन्वेस्टमेंट किये जाते हैं। जैसे, कैपिटल मार्किट में बढ़त के साथ फंड की बढ़त जारी रहती है। इससे, आपके ग्राहक, को मिलने वाला रिटर्न इन्फ्लेशन रेट को समायोजित (एडजस्ट) कर दिया जाता हैजो उन्हें भविष्य के लिए सही रिटर्न देते हैं।
- आमतौर पर डेट फंड बैंक एफडी के मुकाबले बढ़िया रिटर्न देते हैं।
- अगर कोई ग्राहक अपने डेट फंड्स को 36 महीने के इन्वेस्टमेंट के बाद निकालता है, तो उसे टैक्स बेनिफिट मिलता है। ये बेनिफिट इंडेक्सेशन बेनिफिट के साथ ही डेट फंड पर मिलने वाले लाभ का 20% होता है। ये फंड तब भी आपके ग्राहक को टैक्स बचाने में मदद करता है जब आपका ग्राहक हायर टैक्स ब्रैकेट में आता है।
निष्कर्ष
हालाँकि एफडी एक लंबे वक़्त से भारतीय घरों का एक जाने-पहचाने निवेश विकल्प का नाम रहा है, फिर भी डेट म्यूचुअल फंड जैसे आधुनिक प्रोडक्ट में इन्वेस्टमेंट करना आपके ग्राहकों के लिए बेहतर विकल्प है। अगर आपके ग्राहक लंबी अवधि के लिए निवेश करते हैं तो आपके ग्राहकों को इंडेक्सेशन का लाभ मिल सकता है। डेट म्यूचुअल फंड्स द्वारा दिया जाने वाला रिटर्न आकर्षक होता है, जबकि फिक्स्ड डिपॉजिट्स में इस तरह के कम ही ऑफर मिलते हैं। इसके अलावा, आपके ग्राहक अपने डेट फंड इन्वेस्टमेंट को आसानी से नकदी में बदल सकते हैं जबकि एफडी में ऐसा नहीं किया जा सकता क्योंकि वो फिक्स्ड यानी एक समय के लिए स्थाई होते हैं। इस प्रकार, बेहतर लिक्विडिटी, बढ़िया रिटर्न और लगभग एक ही तरह के जोखिम की श्रेणी में, डेट म्यूचुअल फंड्स एफडी के मुकाबले बेहतरीन चुनाव हैं।
मिंटप्रो ऐप का इस्तेमाल करके, आप अपने ग्राहकों को डेट फंड में निवेश की सलाह दे सकते हैं।