हर व्यक्ति के फाईनेंशियल पोर्टफोलियो में टैक्स एक प्रमुख विषय होता है। हर कोई अपनी टैक्स लाइअबिलिटी को कम करना चाहता है और इसके लिए उन विकल्पों को खोजता हैं जो उन्हें सबसे ज़्यादा फ़ायदा पहुंचाते हैं। अपने ग्राहक के फाईनेंशियल एडवाइजर होने के नाते, आप भी अपने ग्राहकों को उनके टैक्स सेविंग के संभावित तरीकों के बारे में भी सलाह दे सकते हैं। यदि आप ने इससे पहले अपने ग्राहक के साथ टैक्स सेविंग को लेकर कोई चर्चा नहीं की है, तो ऐसा करने का ये सबसे सही समय है।
टैक्स प्लानिंग क्यों जरूरी है?
आपके ज़्यादातर ग्राहक पहले से ही इस बात को जानते होंगे कि टैक्सेज़ का भुगतान उनकी आमदनी पर एक टोल लगाता है, लेकिन वो ये नहीं जान सकते हैं कि इसके लिए कब और कैसे प्लानिंग की जाए। टैक्स प्लानिंग आपके ग्राहकों को उनकी टैक्स लाइअबिलिटी को कम करने के लिए अलग–अलग इन्वेस्टमेंट प्लान में अपने पैसे का इन्वेस्टमेंट करने के बारे में अनुमति देगा। सही इन्वेस्टमेंट प्लान में इन्वेस्टमेंट करने से उन्हें न केवल अपने टैक्सेज़ को बचाने के लिए सहायता मिलेगी, बल्कि कुछ समय के बाद वे इससे अच्छा-खासा रिटर्न भी पा सकेंगे।
टैक्स प्लानिंग के द्वारा ग्राहकों की मदद:
सरकार ने टैक्स बचाने के लिए विभिन्न विकल्प दिये हैं जिनकी मदद से आप अपने ग्राहकों को टैक्सेज़ बचाने में मदद कर सकते हैं। आप अपने ग्राहक की उनकी आर्थिक ज़रूरतों के आधार पर या तो शॉर्ट टर्म टैक्स प्लानिंग या लॉन्ग टर्म टैक्स प्लानिंग संबंधी सलाह दें सकते हैं।
नीचे कुछ ऐसे तरीकें बताए गए हैं, जिनके द्वारा आप अपने ग्राहकों को जितना संभव हो सके उतनी टैक्स बचाने में मदद कर सकते हैं –
- टैक्स सेविंग के लिए सेक्शन 80 सी
आपके ग्राहकों ने एक सबसे ज्यादा प्रचलित छूट के नाम पर, सेक्शन 80 सी के बारे में सुना होगा क्योंकि ये उन सभी प्रावधानों में सबसे प्रसिद्ध है जो टैक्स बचाने के लिए इस्तेमाल में लाए जाते हैं। इस सेगमेंट के तहत इन्वेस्टमेंट आपके ग्राहकों को प्रत्येक फाईनेंशियल इयर के लिए रु 1.5 लाख तक की टैक्स डिडक्शन को क्लेम करने की इजाज़त देगा। सीधे शब्दों में कहें, तो आपके ग्राहक सेक्शन 80 सी के तहत अपनी कुल टैक्सेबल इनकम से 1.5 लाख रुपये तक का टैक्स कम कर सकते हैं। ऐसे कॉमन प्लांस जिनके तहत सेक्शन 80 सी के डिडक्शन का फ़ायदा लिया जा सकता है वो इस प्रकार हैं-
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- लाइफ़ इंश्योरेंस प्रीमियम
- इक्विटी लिंक्ड सेविंग स्कीम में इन्वेस्टमेंट
- पांच साल के लिए फिक्स्ड डिपॉजिट
- होम लोन की मूल रकम के भुगतान पर
- बच्चों के लिए भुगतान की गई ट्यूशन फीस (अधिकतम दो बच्चों तक)
- पीपीएफ खाते में इन्वेस्टमेंट द्वारा
- ईपीएफ खाते में इन्वेस्टमेंट द्वारा
- सेक्शन 80 डी
आप एक्स्ट्रा टैक्स ब्रेक के लिए अपने ग्राहकों को सेक्शन 80 डी के इस्तेमाल की सलाह दे सकते हैं। इस सेगमेंट के टैक्स डिडक्शन का लाभ हेल्थ इंश्योरेंस के लिए चुकाए गए प्रीमियम के रूप किया गया है। इसमें रु 25,000 तक के प्रीमियम की रकम को अधिकतम छूट (मैक्सिमम टैक्स डिडक्शन) के रूप में जोड़ा जाता है यदि पॉलिसी स्वयं, पति या पत्नी और निर्भर बच्चों के लिए खरीदी जाती है। तो, रु 25,000 तक के एक्स्ट्रा टैक्स डिडक्शन का दावा किया जा सकता है अगर प्रीमियम का भुगतान निर्भर माता-पिता की हेल्थ पॉलिसी के प्रीमियम के भुगतान के लिए किया जाता है। यदि आपके ग्राहक और / या उनके आश्रित माता-पिता सीनियर सिटिज़न हैं तो ये सीमा रु 50,000 तक बढ़ जाती है। इस प्रकार, आपके ग्राहक अपनी टैक्स लाइअबिलिटी को, सेक्शन 80 डी की मदद से रु 1 लाख तक कम टैक्स भर सकते हैं।
- सेक्शन 80 टीटीए
जब बात इनकम टैक्सेज़ की आती है, तो सेक्शन 80TTA एक बहुत ही कम प्रचलित सेक्शंस में से एक है। यदि आपके ग्राहक अपने सेविंग अकाउंट से ब्याज कमाते हैं, तो वे फाईनेंशियल इयर में कमाए गए ब्याज पर रु 10,000 तक के टैक्स छूट का क्लेम कर सकते हैं। ये छूट बैंक के सेविंग एकाउंट्स, पोस्ट ऑफिस या कॉपरेटिव बैंकों से कमाए ब्याज पर मिलती है। हालांकि, रेकरिंग डिपॉजिट, फिक्स्ड डिपॉजिट और कॉर्पोरेट बॉन्ड से मिलने वाले ब्याज पर ये डिडक्शन लागू नहीं होता है।
वहीं, सीनियर सिटिज़न के, सेविंग अकाउंट और बैंक फिक्स्ड डिपॉजिट पर कमाए गए ब्याज को एक साथ जोड़ा जाता है और उस राशि पर सेक्शन 80 टीटीबी के तहत सालाना रु 50,000 तक का क्लेम किया जा सकता है।
- स्टैण्डर्ड डिडक्शन
हाल ही में इंटरिम बजट में हुए बदलावों से अब हर फाईनेंशियल इयर में थोडा ज़्यादा रु 50,000 तक का स्टैण्डर्ड डिडक्शन का नियम बनाया गया है। यह स्टैण्डर्ड डिडक्शन सैलरी इनकम से एक तय डिडक्शन के रूप में काटा जाएगा और ये सभी वेतनभोगियों पर लागू है। यूनियन बजट 2018 ने मेडिकल और ट्रैवल अलाउंस के साथ स्टैण्डर्ड डिडक्शन के कांसेप्ट को पेश किया है। इस, स्टैण्डर्ड डिडक्शन से कुल टैक्सेबल इनकम में से रु 50,000 कम किये जाएंगे, जिससे आपके ग्राहकों की टैक्स लाइअबिलिटी कम हो जाएगी।
- एक्स्ट्रा टैक्स सेविंग के लिए एनपीएस
एनपीएस या नेशनल पेंशन स्कीम एक और बढ़िया इन्वेस्टमेंट प्रोडक्ट है जिसकी सलाह आप अपने ग्राहकों को टैक्स में छूट पाने के लिए दें सकते हैं। एनपीएस आपके ग्राहकों को मार्किट–लिंक्ड फंड्स में इन्वेस्टमेंट करके रिटायरमेंट फंड तैयार करने की इजाज़त देता है। वे एनपीएस के द्वारा नियमित रूप से मार्किट–लिंक्ड फंड्स में इन्वेस्टमेंट कर सकते हैं और अपने रिटायर्मेंट के लिए एक अच्छा फंड तैयार कर सकते हैं। ये फंड उनके रिटायरमेंट के बाद एक रेगुलर इनकम का वादा भी करता है जो उनकी इनकम का एक जरिया बन सकता है।
इसलिए, अगर आपके ग्राहक अपने रिटायरमेंट के लिए एक अच्छे पेंशन प्लान की तलाश कर रहे हैं, तो एनपीएस उनके लिए वही प्लान हो सकता है जिसकी उन्हें तलाश है। आपके ग्राहक सेक्शन 80C के साथ-साथ सेक्शन 80CCD के अधीन कम टैक्सेज़ देने का लाभ भी लें सकते हैं। सेक्शन 80CCD के तहत, वे एनपीएस प्लान में अपना इन्वेस्टमेंट करके एक फाईनेंशियल इयर में रु 50,000 की छूट का क्लेम कर सकते हैं।
टैक्स सेविंग फाईनेंशियल प्लानिंग का एक अति महत्वपूर्ण हिस्सा है जो लोगों को उनकी टैक्स लाइअबिलिटी को कम करने में मदद करता है। यदि आपके ग्राहक अपने टैक्स प्लानिंग से जुड़े अलग-अलग टैक्स प्लानिंग टूल्स से अनजान हैं, तो आपको उन्हें इस विकल्पों के बारे में सूचित करना चाहिए और जहाँ तक संभव हो उनकी टैक्स लाइअबिलिटी को कम करने में उनकी मदद करनी चाहिए। आप अपने ग्राहकों को टैक्सेज़ की प्लानिंग के लिए बनाए गए विभिन्न फाईनेंशियल प्रोडक्ट्स का सुझाव भी दे सकते हैं जो आपके ग्राहकों को उनकी टैक्स लाइअबिलिटी को कम करने में मदद करेंगे। ये प्रोडक्ट्स न केवल आपके ग्राहकों के टैक्स के बोझ को कम करेंगे, बल्कि इससे आपकी बिक्री भी बढ़ेगी। इसलिए, अपने ग्राहकों को उनकी टैक्सेज़ की प्लानिंग करने में मदद कर, आप अपना बिज़नेस भी बढ़ा सकते हैं और साथ ही अच्छा कमीशन भी कमा सकते हैं। ये आप दोनों के लिए फ़ायदे की बात होगी, है कि नहीं?