म्यूचुअल फंड बेचने से जुड़ी 7 अनिवार्य शर्तें जो आपको पता होनी चाहिए

Mutual Funds

म्यूचुअल फंड्स निवेशकों (इन्वेस्टर्स) के सबसे पसंदीदा बचत विकल्पों में से एक है। ये अच्छे रिटर्न्स देते हैं, बढ़ती महंगाई के साथ खुद को समायोजित (एडजस्ट) कर लेते हैं, अच्छी नकदी (लिक्विडिटी) देते हैं और अलग-अलग तरह के इन्वेस्टर्स की अलग-अलग प्रकार की रिस्क प्रोफाइल के हिसाब से तैयार किये जाते हैं। दरअसल, एसोसिएशन ऑफ म्यूचुअल फंड्स इन इंडिया (एएमएफआई) और ब्लूमबर्ग द्वारा जारी किए गए आंकड़ों के हिसाब से, साल 2014 के बाद से, इंडिपेंडेंट इन्वेस्टर्स (स्वतंत्र इन्वेस्टमेंट) के म्यूचुअल फंड्स अकाउंट का आकार दो गुना ज़्यादा बड़ा होकर 84 मिलियन का हो गया है। जबकि वहीं दूसरी तरफ, इस इंडस्ट्री की संपत्ति बढ़कर 370 बिलियन अमरीकी डॉलर हो गई है। आइये इस पर एक नज़र डालें –

bloomberg

(स्रोत: Economic times)

ये आंकड़ें बड़े विश्वास के साथ इस बात की पुष्टि करते हैं कि म्यूचुअल फंड्स की लोकप्रियता के कारण इसमें होने वाले इन्वेस्टमेंट में बढ़ोतरी हो रही है।

इसलिए, आप म्यूचुअल फंड की बिक्री के लिए आसानी से ग्राहकों की खोज कर सकते हैं। हालांकि, म्यूचुअल फंड, किसी भी और तरह के इन्वेस्टमेंट प्रोडक्ट के मुकाबले, समझने में थोड़ा तकनीकी हैं। ऐसे में, आपके ग्राहक स्कीम से जुड़े रिटर्न को लेकर चिंतित हों सकते हैं, इसलिए आपको स्कीम से जुड़े गणित को समझने की ज़रूरत है ताकि आप अपने ग्राहकों को सबसे बढ़िया स्कीम बेच सकें। और इसके लिए आपके पास म्यूचुअल फंडस्कीमों का तकनीकी ज्ञान होना ज़रूरी होता है। इसके लिए, सात अति अनिवार्य म्यूचुअल फंड शर्तें हैं, जिन्हें आपको इस तरह की स्कीमों को बेचने से पहले जानना चाहिए –

  1. एसेट मैनेजमेंट कंपनी (AMC)

एक एसेट मैनेजमेंट कंपनी वो कंपनी होती है जो रिटर्न जुटाने के लिए म्यूचुअल फंड के पोर्टफोलियो के निवेश के प्रबंधन (इन्वेस्टमेंट मैनेजमेंट) की जिम्मेदारी संभालती है। ऐसी कंपनी सेबी के साथ रजिस्टर्ड होती है और ये कंपनियां म्यूचुअल फंड स्कीमों के इन्वेस्टमेंट मैनेजमेंट के लिए फंड मैनेजर्स को बहाल करती हैं।

  1. एयूएम

एयूएम का मतलब होता है एसेट्स अंडर मैनेजमेंट। एयूएम को उस कुल राशि के रूप में परिभाषित किया जाता है जो म्यूचुअल फंड पोर्टफोलियो के मौजूदा बाज़ार भाव का प्रतिनिधित्व करती है। एक हाई एयूएम पोर्टफोलियो इस बात के संकेत देता है कि इस म्यूचुअल फंड स्कीम में कई लोगों ने इन्वेस्मेंट किया है और यह फंड अच्छी ग्रोथ रेट से बढ़ा है।

  1. एंट्री और एग्जिट लोड 

एंट्री और एग्जिट लोड तब लगाएं जाते हैं जब कोई इन्वेस्टर स्कीम में इन्वेस्टमेंट करता है या अपना इन्वेस्टमेंट निकालकर स्कीम से बाहर हो जाता है। स्कीम में इन्वेस्टमेंट करते वक़्त एंट्री लोड लगाया जाता है। इस लोड से प्राप्त राशि को म्यूचुअल फंड डिस्ट्रीब्यूटरों या उन ब्रोकरों में बाँट दिया जाता है जिन्होंने बतौर म्यूच्यूअल फंड सेलर स्कीम लोगों को बेची होती है। लोड की इस राशि का इस्तेमाल उन सभी खर्चों को पूरा करने के लिए भी किया जाता है, जिसे म्यूचुअल फंड हाउस, स्कीम को बेचने के लिए खर्च करते हैं। इसकी गणना प्रतिशत के रूप में की जाती है और ये प्रतिशत निवेश की गई राशि के ऊपर निकाला जाता है। उदाहरण के लिए, यदि एंट्री लोड 1% है और रु 10,000 का इन्वेस्टमेंट किया जाता है, तो लोड की हिसाब रु 10,000 के 1% के रूप में रु 100 एंट्री लोड लिया जायगा। इसके बाद नेट इन्वेस्टमेंट की गणना के लिए लोड की इस रु 100 की राशि को कुल निवेश की राशि से घटाया जाएगा। उदाहरण के लिए, यहाँ नेट इन्वेस्टमेंट की राशि रु 9900 होगी।

वहीं दूसरी तरफ, एग्जिट लोड, म्यूचुअल फंड स्कीम से एग्जिट होने पर फंड वैल्यू से घटाये जाने वाली राशि होती है। यदि आप कम समय में स्कीम से बाहर निकलते हैं तो आमतौर पर ये लोड चार्जेस लागू होता है। इस लोड को एग्जिट के समय की कुल राशि के प्रतिशत के रूप व्यक्त किया जाता है। इसलिए, यदि आप अपने किसी ऐसे म्यूचुअल फंड में निवेश किया है जिसका मूल्य रु 20,000 रुपये है, और 1%, का एग्जिट लोड है, तो 200 रुपये लोड चार्जेस के रूप में काटे जाएंगे और आपको रु 19,800 नेट अमाउंट के रूप में मिलेंगे।

  1. ओपन एंड क्लोज एंडेड म्यूचुअल फंड स्कीमें 

म्यूचुअल फंड स्कीमें, ओपन एंड क्लोज एंडेड हो सकती हैं। ओपन एंडेड स्कीम वे स्कीमें होती हैं जो अनिश्चित समय के इन्वेस्टमेंट के लिए तैयार होती हैं। इस तरह की म्यूचुअल फंड्स स्कीमों में इन्वेस्ट किए गए फंड्स से एग्जिट करने का कोई निर्धारित समय नहीं होता है। इन्वेस्टर कभी भी इन्वेस्टमेंट कर सकते हैं और कभी भी फंड्स से एग्जिट कर सकते हैं।

क्लोज एंडेड स्कीमें वे हैं जिनमें एक निश्चित समय सीमा के लिए इन्वेस्टमेंट किया जाता है। इसलिए, इस तरह की स्कीमों में इन्वेस्टमेंट के लिए एक निश्चित समय सीमा होती है, जिस समय के दौरान इनसे एग्जिट करने की अनुमति नहीं होती है। जैसे कि, ईएलएसएस (इक्विटी लिंक्ड सेविंग स्कीम) एक तरह की क्लोज एंडेड स्कीम है, जिसके 3 साल के लॉक-इन पीरियड के दौरान इन्वेस्टमेंट को निकाला नहीं जा सकता है।

  1. एसआईपी, एसडब्ल्यूपी और एसटीपी

निवेश के ये तीनों तरीकें म्युचुअल फंड द्वारा इन्वेस्टमेंट या रिडीम करने के एक सुनियोजित तरीके की पेशकश करते हैं। आइये उन्हें एक-एक कर समझें –

  • एसआईपीका मतलब है सिस्टमैटिक इन्वेस्टमेंट प्लान, जिसमें इन्वेस्टर म्यूचुअल फंड स्कीम में पहले से तय किसी छोटीराशि को, नियमित रूप से इन्वेस्टमेंट कर सकते हैं
  • एसडब्ल्यूपी का मतलब है सिस्टमैटिक विद्ड्रॉअल प्लान जिसमें कि म्युचुअल फंड इन्वेस्टमेंट को रिडीम करने के लिए इन्वेस्टर द्वारा नियमित रूप से स्कीम से कुछ–कुछ राशि निकालनी होती है
  • एसटीपी का अर्थ है सिस्टेमैटिक ट्रांसफर प्लान। इस स्कीम के तहत, शुरूआती समय में, किसी विशेष म्यूचुअल फंड स्कीम में एकमुश्त राशि को इन्वेस्ट किया जाता है। उसके बाद, तय की हुई किसी छोटी राशि को उस म्यूचुअल फंड स्कीम से दूसरी स्कीम में ट्रांसफर कर दिया जाता है
  1. एक्स्पेंसेस रेशियो 

म्युचुअल फंड्स, इन्वेस्टर्स से रूपये इकट्ठा कर फिर उसे अलग-अलग सिक्योरिटीज में इन्वेस्ट करते हैं। उन इंवेस्टमेंट्स के ज़रिये ज़्यादा से ज़्यादा रिटर्न पाने के लिए इन्वेस्टमेंट को नियमित रूप से प्रबंधित (मैनेज) किया जाता है। ये मैनेजमेंट मुफ्त में संभव शुल्क नहीं है। इसके लिए, म्यूचुअल फंड्स अपने फंड मैनेजरों को इन स्कीमों के संचालन और प्रबंधन संबंधी मेहनताना और बाकी खर्चो के लिए जिम्मेदार होते हैं। इन चार्जेस को इन्वेस्टर्स से एक्स्पेंसेस रेशियो के रूप में लिया जाता है। स्कीम पर किये गए कुल खर्चों का हिसाब प्रतिशत के रूप में किया जाता है और ये प्रतिशत नेट एसेट्स वैल्यू (एनएवी) को कम करता है। इसलिए, एनएवी की गणना पोर्टफोलियो के मार्किट वैल्यू से एक्स्पेंसेस रेशियो काटने के बाद तय की जाती है और एनएवी का जो मूल्य आपको अंत में प्राप्त होता है वो एक्स्पेंसेस रेशियो को घटाने के बाद का मूल्य होता है।

  1. एनएवी

एनएवी का मतलब होता है नेट एसेट वैल्यू। यह म्यूचुअल फंड स्कीम के प्रति यूनिट के मूल्य का प्रतिनिधित्व करता है। यदि आप एक म्यूचुअल फंड स्कीम में एक तय राशि का निवेश करते हैं, तो एनएवी उन यूनिट्स की संख्या तय करेगा जो आपको दिए जाएंगे। एनएवी की गणना म्यूचुअल फंड पोर्टफोलियो के बाज़ार मूल्य को उन सिक्योरिटीज की, जो पोर्टफोलियो में होती से संख्या से भाग देकर की जाती है। इसका सूत्र इस प्रकार है –

एनएवी = (पोर्टफोलियो के एसेट्स की वैल्यू – पोर्टफोलियो की लायबिलिटी की वैल्यू) / पोर्टफोलियो द्वारा रखी गई सिक्योरिटीज की संख्या

एनएवी की वैल्यू डायनामिक होती है और लगातार बदलती रहती है। यह इन्वेस्टर्स को फंड की परफॉरमेंस की समीक्षा करने में मदद करता है। म्यूचुअल फंड में इन्वेस्टमेंट और रिडेम्पशन जारी एनएवी के आधार पर किया जाता है। ये नियम म्यूचुअल फंड इन्वेस्टमेंट से संबंधित कुछ सबसे बुनियादी नियमों में से एक है। इसलिए, इन नियमों के बारे में पूरी जानकारी जुटाएं ताकि आप अपने ग्राहकों को आसानी से उनकी जरूरतों के हिसाब से सबसे बढ़िया म्यूचुअल फंड बेच सकें।

Recent articles
follow us and stay updated
[mc4wp_form id="2743"]
About TurtlemintPro
TurtlemintPro is the best insurance advisor app if you are looking to start, grow or manage your insurance business. With TurtlemintPro, you can become a trusted insurance advisor to your customers and provide great service as well. You can provide quotes from multiple insurers for multiple products, issue policy instantly without lengthy paperwork, follow-up with leads and much more.
Become a partner Become a partner