साल 2019 में आपकी टैक्स फिलिंग को कुशलतापूर्वक पूरा करने के लिए स्टेप–बाई स्टेप गाइड

टैक्स जमा करने का समय आसपास ही है क्योंकि टैक्स जमा करने की अंतिम तारीख 31 जुलाई 2019 है। इसीलिए आप में से ज़्यादातर लोग अपने रिटर्न को जमा करने की तैयार में व्यस्त होने चाहिए और रिटर्न को सही तरीके से जमा करने में मदद की तलाश में भी। इनकम टैक्स का काम  एक तकनीकी काम होने के कारण एवं टैक्स रिटर्न में की जाने वाली गलतियां के कारण ये आपको महंगा साबित हो सकता है। इसलिए, यदि आप टैक्स फिलिंग के किसी भी पहलू को लेकर उलझन में हैं, तो यहाँ आपके लिए टैक्स रिटर्न को सही तरीके से जमा करने के लिए स्टेप–बाई-स्टेप गाइड उपलब्ध है –

 

स्टेप 1- अपना होमवर्क करें

 

अपने टैक्स रिटर्न को जमा करने से पहले टैक्स से जुड़ी बातों पर गौर कर अपना प्लान तैयार करें। आप अपने टैक्स फाइल में किसी भी महत्वपूर्ण जानकारी को देना न भूले। आपके होमवर्क के लिए, यहाँ नीचे उन ज़रूरी बातों को बताया गया है जिन पर आपको ध्यान देना चाहिए और व्यवस्थित करना चाहिए-

 

टैक्स ब्रैकेट्स को जानें कि किस ब्रैकेट में आपकी इनकम कम होगी। टैक्स ब्रैकेट्स इस प्रकार हैं-

  • HUF और 60 वर्ष तक की आयु के नागरिकों के लिए –
इनकम का स्तर टैक्स रेट
Up to INR 250,000 रु 250,000 तक शून्य
INR 250,001 to INR 500,000 I रु 250,001 से रु 500,000 तक रु 250,000 से अधिक की इनकम का 5%
रु 500,001 से रु 10,00,000 रु 12,500 + 20% रु 500,000  से अधिक इनकम होने पर
रु 10,00,001 और उससे अधिक रु 112,500 + 30% रु 10,00,000 से अधिक इनकम होने पर

 

 

  • 61 वर्ष से 80 वर्ष के आयु वर्ग के नागरिकों के लिए

 

इनकम का स्तर टैक्स रेट
Up to INR 300,000 रु 300,000 तक  शून्य
 रु 300,001 से रु 500,000 तक रु 300,000 से अधिक की इनकम का 5%
रु 500,001 से रु 10,00,000 रु 10,000 + 20% रु 500,000  से अधिक इनकम होने पर
रु 10,00,001 और उससे अधिक रु 110,000 + 30% रु 10,00,000 से अधिक इनकम होने पर

 

  • 81 वर्ष या उससे अधिक आयु के व्यक्तियों के लिए

 

इनकम  का स्तर टैक्स रेट
Up to INR 500,000 INR 500,000 तक  शून्य
रु 500,001 से रु 10,00,000 रु 500,000 से अधिक की इनकम का 20%
रु 10,00,001 और उससे अधिक रु 100,000+ 30% रु 10,00,000 से अधिक इनकम होने पर

 

इसके अलावा, आप उन इनकम की जाँच करें जिन पर आप बचत खाते से ब्याज इनकम (सेक्शन  80TTA के तहत 10,000रुपये तक), पीपीएफ से अर्जित ब्याज (सेक्शन  80C), आदि के तहत टैक्स में छूट का दावा कर सकते हैं।

 

  • टैक्स से संबंधित सभी ज़रूरी दस्तावेज़ों को एकत्रित करें जिसमें निम्नलिखित शामिल हैं –

 

  • टीडीएस सर्टिफिकेट जो आपकी इनकम से पूर्व में काटे गए टीडीएस की डिटेल दिखाएगा

 

  • आपके बैंक सेविंग अकाउंट और फिक्स्ड डिपाजिट अकाउंट के ब्याज की डिटेल

 

  • यदि आप एक वेतनभोगी कर्मचारी (सेलरिड एम्प्लोयी) हैं, तो आपके कंपनी मालिक द्वारा जारी किया गया फॉर्म 16 आपकी सैलरी में डिडक्शन में किए गए टीडीएस पर छूट देगा

 

  • अपने होम लोन को तय समय पर दोबारा से भुगतान, यदि लाभ लिया गया हो। यह तय समय आपको अपने ईएमआई की राशि और ब्याज का पता लगाने में मदद करेगा ताकि आप होम लोन पर मिल रहे टैक्स बेनिफिट्स को क्लेम कर सकें। मूल राशि पर 80 c के तहत टैक्स डिडक्शन के रूप में 1.5 लाख रुपये तक का क्लेम किया जा सकता है जबकि भुगतान किए गए ब्याज को सेक्शन  24 /या सेक्शन  80 EE के तहत डिडक्शन के रूप में क्लेम किया जा सकता है।

 

  • यदि आपने वित्तीय वर्ष (फाईनेंशियल इयर) के दौरान कोई पूंजीगत संपत्ति (कैपिटल एसेट्स) को बेचा है, तो पूंजीगत लाभ या हानि (कैपिटल बेनिफिट या लॉस) की डिटेल की भी गणना की जानी चाहिए। कैपिटल गेन दो प्रकार के होते हैं- लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन्स (LTCG) और शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन्स (STCG)। इन दोनों लाभों का टैक्स ट्रीटमेंट अलग है और इसलिए आपको यह समझना चाहिए कि क्या आपका कैपिटल गेन लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन्स या शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन्स है। (LTCG) आपको अचल संपत्ति (फिक्स्ड एसेट्स) एवं और डेब्ट म्यूचुअल फंडों के मामले में सूचीकरण (इन्डेक्सैशन) के लाभ की अनुमति देगा।

 

  • फॉर्म 26AS डाउनलोड करें और देखें कि क्या टीडीएस डिडक्शन की डिटेल आपकी इनकम से घटाए गए वास्तविक टीडीएस से मिलती है। फॉर्म को TRACES वेबसाइट से डाउनलोड किया जा सकता है। एक बार जब आप फॉर्म प्राप्त कर लेते हैं, तो आपको इसे अपने मालिक, बैंक, आदि से प्राप्त टीडीएस सर्टिफिकेट्स के साथ क्रॉस-चेक करना चाहिए। यदि कोई गलती निकले, तो उसे ठीक करवाएं।

 

  • यदि आप वेतनभोगी (सेलरिड एम्प्लोयी) हैं, तो अपने वेतन पर छूट मिलने वाली (एक्सेम्पटेड इनकम) को घटाएं। इन एक्सेम्पटेड इनकम में हाउस रेंट अलाउंस (HRA), लीव ट्रैवल अलाउंस (LTA), मील कूपन, फोन बिल्स रीइम्बर्स्मन्ट आदि शामिल हैं। ज़रूरी डिडक्शन को घटाने के बाद, नेट टैक्सबल इनकम जानें।

 

स्टेप 2 – अपनी टैक्स लाइअबिलिटी की गणना करें

 

  • आपकी इनकम की डिटेल जुटाने के बाद, इनकम टैक्स के पांच प्रमुख हेड्स के तहत अपनी इनकम की गणना करें –
  • वेतन से इनकम
  • गृह संपत्ति से इनकम
  • व्यवसाय या पेशे से इनकम
  • पूंजीगत लाभ (कैपिटल गेन्स) से इनकम
  • अन्य स्रोतों से इनकम/इनकम फ्रॉम अदर सोर्सेज

 

सभी दिए गए हेड्स के तहत विभिन्न इनकम को सूचीबद्ध (लिस्टिंग) करें। ग्रॉस टैक्स लायक इनकम जोड़ें। एक बार इनकम जुड़ जाने के बाद, यदि लागू हो, तो सेक्शन  80 के तहत डिडक्शन क्लेम करें। उदाहरण के लिए, सेक्शन  80C की डिडक्शन लिस्ट अलग-अलग इन्वेस्टमेंट और खर्चों की लिस्ट है जिन्हें  टैक्सबल इनकम से कम किया जा सकता है। इसी तरह, सेक्शन  80 डी हेल्थ इंश्योरेंस प्रीमियम के भुगतान के लिए डिडक्शन की अनुमति देती है। ज़रूरी डिडक्शन के लिए जाँच करें और अपनी टैक्स लाइअबिलिटी को कम करने का क्लेम करें। डिडक्शन और इग्ज़ेम्प्शन  के टैक्स क्लेम के बाद आपको नेट टैक्सबल इनकम प्राप्त होती है। ऊपर बताए गए टैक्स ब्रैकेट्स का इस्तेमाल कर अपनी इनकम टैक्स लाइअबिलिटी की गणना करें। आपको अपनी टैक्स देनदारी मिल जाएगी।

 

स्टेप 3 – अपना इनकम टैक्स रिटर्न जमा करें

 

आपके द्वारा अपनी टैक्स देनदारी की गणना के बाद, अपना टैक्स रिटर्न जमा करें। यदि आप इस तथ्य के बावजूद कि आपके द्वारा अर्जित इनकम टैक्स योग्य नहीं हो सकती है, तो इनकम टैक्स रिटर्न जमा करना चाहिए। इसके अलावा, अपने रिटर्न को जमा करने के बाद आप टैक्स रिफंड का दावा कर सकते हैं यदि टीडीएस से एक्सेम्पटेड इनकम पर डिडक्शन किया गया है तो, या यदि कोई एक्स्ट्रा टीडीएस का भुगतान किया गया है तो।

 

आजकल, रिटर्न ऑनलाइन दायर किया जा रहा है जो तुरंत हो जाता है और सरल भी है। इसलिए आप इनकम टैक्स विभाग की वेबसाइट पर अपना रिटर्न ऑनलाइन जमा कर सकते हैं। अपने रिटर्न जमा से पहले,  सही आईटीआर का चयन करें जो आपके रिटर्न को जमा करने के लिए ज़रूरी होगा। यदि आप ITR 1 या ITR 4 के तहत अपना रिटर्न जमा कर रहे हैं, तो आप ऐसा ऑनलाइन टैक्स जमा  कर सकते हैं। हालांकि, अन्य आईटीआर के लिए, आपको एक्सेल या जावा का सॉफ्टवेयर डाउनलोड  करना होगा।

 

स्टेप 4 – अपना इनकम टैक्स रिटर्न ई-वेरीफाई करें

 

आपके द्वारा अपने इनकम टैक्स रिटर्न को जमा के बाद, आपको इसे वेरीफाई भी करना होगा। ऑनलाइन वेरीफाई रिटर्न का नियम है। रिटर्न जमा करने के बाद, आपको इनकम टैक्स द्वारा एक वेरिफिकेशन ईमेल भेजा जाएगा। आप ईमेल में भेजें गए लिंक का इस्तेमाल कर अपने रिटर्न को वेरीफाई कर सकते हैं।

 

स्टेप 5 – अपने रिफंड का दावा करें

 

आपके द्वारा अपना आईटीआर टैक्स वेरीफाई करने के बाद, इनकम टैक्स विभाग आपके रिटर्न की प्रक्रिया शुरू करेगा। यदि आप किसी भी टैक्स रिफंड के लिए दावेदार हैं, तो आपका टैक्स रिफंड कुछ समय में आपके बैंक खाते में जमा हो जाएगा। आपको ऐसे रिफंड की स्थिति की जांच करनी चाहिए और यदि टैक्स रिफंड नहीं किया जाता है, तो आपको इस बारे में इनकम टैक्स विभाग के साथ संपर्क करना चाहिए।

 

टैक्स फाइलिंग एक कठिन प्रक्रिया नहीं है, लेकिन कई व्यक्ति किसी न किसी स्टेप को याद नहीं रखते हैं या अपने रिटर्न को ठीक से भरने के लिए पूरी तरह से तैयार नहीं होते हैं। बताए गए स्टेप आपके रिटर्न को जमा करने की मूल विधि हैं, जिनके उपयोग से आप अपने टैक्सेज़ को आसानी से जमा कर सकते हैं। इसलिए, अपने टैक्स रिटर्न की तैयार में इन बातों का इस्तेमाल करें। टैक्स जमा करने की समय सीमा निकट आ रही है। देर न करें नहीं तो आपको देर से टैक्स जमा करने का जुर्माना देना होगा। क्या आप ऐसा चाहते हैं नहीं न?

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